Thursday, April 21, 2011

मेरी गज़लें : २

न सही जो मंज़िल का पता होता |
कोई वापसी का तो रास्ता होता |
जिंदगी मुझसे प्यार न करती,
तो आज मैं भी जिन्दा होता |
गर मैं ही न उम्मीदे वफ़ा करता,
वो क्यों मुझसे बेवफ़ा होता |



[far and beyond by Horia Popan]

8 comments:

  1. कवियों की रचनाओं का अनमोल संग्रह का संपादन मैं पुनः कर रही हूँ , सबकी तरफ से एक निश्चित धनराशि का योगदान
    है ... क्या शामिल होना चाहेंगे ?
    इस पुस्तक में 25-30 कवियों/कवयित्रियों की प्रतिनिधि कविताओं को संकलित की जायेंगी।
    इस पुस्तक का संपादन रश्मि प्रभा करेंगी।
    एक कवि को लगभग 6 पृष्ठ दिया जायेगा
    सहयोग राशि के बदले में पुस्तक की 25 प्रतियाँ दी जायेंगी।

    यदि कोई कवि 25 से अधिक प्रतियाँ चाहता है तो उसे अभी ही कुल प्रतियों की संख्या बतानी होगी। अतिरिक्त प्रतियाँ उसे
    अधिकतम मूल्य (जो कि रु 300 होगा) पर 50 प्रतिशत छूट (यानी रु 150 प्रति पुस्तक) पर दी जायेंगी।
    यदि किसी कवि ने अतिरिक्त कॉपियों का ऑर्डर पहले से बुक नहीं किया है तो बाद में अतिरिक्त कॉपियों की आपूर्ति की गारंटी हिन्द-युग्म
    या रश्मि प्रभा की नहीं होगी। यदि प्रतियाँ उपलब्ध होंगी तो 33 प्रतिशत छूट के बाद यानी रु 200 में दी जायेंगी।
    कविता-संग्रह की कविताओं पर संबंधित कवियों का कॉपीराइट होगा।
    सभी कवियों और संपादक को 20 प्रतिशत की रॉयल्टी दी जायेगी (बराबर-बराबर)

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  2. जिंदगी मुझसे प्यार न करती,
    तो आज मैं भी जिन्दा होता |

    वाह ………क्या खूब कहा है।

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  3. जिंदगी मुझसे प्यार न करती,
    तो आज मैं भी जिन्दा होता |bhut khub kaha apne...

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  4. रचना अच्छी लगी ! शुभकामनायें !!

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  5. हम्म ! बात तो सही है !

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