धुंध में...
मीर ग़ालिब फैज़ अब नहीं शायद, मेरी तस्लीम इनसे मगर ज़ारी है |
Friday, July 8, 2011
फीके पन्नों से ...४
इश्क, जिंदगी में अज़ब सिलसिला रहा |
हादसों में हम न रहे, तजरुबा रहा |
[Heartbroken by Mel ]
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