Monday, October 8, 2012

skeleton with a copper locket containing a woman’s hair around its neck




वो दीद बेखबर हो गयी | मुझे देखकर खो गयी |
आप आयेंगे ये वादे पे, बैठे बैठे सहर हो गयी |
मेरा वजूद कहां खो गया | जिंदगी रहगुज़र हो गयी |
आपसे प्यार करना था, आपसे ही जबर हो गयी |
वक़्त रुकता कहां है, इक घडी, इक सफ़र हो गयी |
दिल को अब फुर्सत कहां, महज ये नजर रो गयी |

(लोगों के पास अब पढने का टाइम नहीं है , और अपना हाल कुछ यों है कि जब सोचता हूँ तो लिखता नहीं , और अब लिखता हूँ तो सोच नहीं पाता । क्षमा करना भाई लोग,जो भी है जैसा भी है, पढ़ें तो गाली न दें । इसलिए कुछ फुटकर ही लिखता रहूँगा ।)

Saturday, January 21, 2012

samay टैम्

एक बहता सा नीला समय है, और मैं हूँ ।
जन्म लेता हूँ , चौरासी लाख अलग अलग जानवरों में ।
फिर से बनता हूँ इंसान,
फिर से शर्मिंदा होता हूँ ।

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ऊपर से गिरता है समय,
मैं चीखता हूँ ।
मेरा नाम जगुआर पाव है ।
मेरे बाप ने, और उसके बाप ने राज किया है इस जंगल पे,
मेरे बाद मेरे बेटे करेंगे ।
समय की लहरों पर लेकिन,
कई जलपोत हैं इंसानों से भरे ।
(From 'Apocalypto')

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धुंध बन गयी है दुनिया,
समय के पास फुर्सत नहीं बात करने की ।
वो भाग रहा उलटी दिशा में,
दुनिया को बचाने के लिए,
दुनिया गर नहीं तो उसको कौन पूछेगा ।

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आज वो ऊपरवाला नहीं,
आज नीचे कुछ नहीं ।
लेकिन वो बैठा है सर्दी की धूप में ।
माल्टे छील रहा है , फिर नमक भूल गया ।
अरे यार दुनिया भी तो बनानी है,
उसे याद आया ।



Saturday, January 14, 2012

फीके पन्नों से.... ५

वक़्त रेत की मानिंद बिखरता रहा,
    मैं बैठा हुआ जिंदगी के टीले पे |
      फलक पे छायी थी सूरज की लालिमा ,
  शाम का स्याह अँधेरा ,
      मुझे अपनी जद में लेने को बेताब |


Saturday, November 26, 2011

डायरी का लास्ट पेज

मौत बेवजह चीज नहीं है | कभी कभी इसकी बेहद जरूरत महसूस होती है | कभी कभी लगता है कि शायद अब मरकर ही चैन मिलेगा | मरने से एक पल पहले जब मैं आखिरी सांस में अपने आस पास देखूंगा , और आँखों में एक संतुष्टि और परायेपन का भाव लेकर सबको नज़र भरकर देखूंगा तो क्या मंजर होगा ! जिंदगी क्या खूबसूरत होगी ! मौत के पहले दो लम्हों की जिंदगी | मरने के बाद मेरी लाश के साथ कोई क्या करेगा, पता नहीं | मुझे कोई चार जूते मारे , मेरे मुंह पर थूक दे या मेरे बाल नोच ले | मेरी आँखें उँगलियाँ डाल के बाहर निकाल दे | लेकिन उससे पहले के दो पल मैं सारे लोगों के लिए इतना धिक्कार भर जाऊँगा कि दुनिया उनके लिए एक अँधेरे से ज्यादा अहमियत नहीं रखेगी | जिंदगी एक जरूरी हादसा है , और मौत उसका इलाज | मौत मांगने की ये आदत उसकी जरूरी डोज़ है | काश, मरना इतना आसान होता कि कोई मांगता मौत और मिल जाती उसे | मुकद्दर  हर आदमी अपना भाग्य खुद चुनता है , तो हर आदमी अपनी जिंदगी का सही तरीके से व्यापार करने की जद्दोजहद में रहता है | 151 रु ^ पंडित है में *


Friday, July 8, 2011

फीके पन्नों से ...४

इश्क, जिंदगी में अज़ब सिलसिला रहा |
हादसों में हम न रहे, तजरुबा रहा |


[Heartbroken by Mel ]

Saturday, May 14, 2011

फीके पन्नों से ... ३

वक़्त कब परछाई बन कर गायब हो जाता है, पता ही नहीं चलता | कभी हम जैसा होता है, फिर हमसाया बन जाता है | रौशनी के ठीक नीचे हमें पता ही नहीं चलता कि हमारा साया हमारे साथ खड़ा है | हम चुपचाप चल देते हैं | वो साया भी नज़र आने लगता है | अब वो हमारे साथ ही है, पर पल पल चलते रहने से वो भी चलता जाता है | और अचानक ख़त्म हो जाता है | हर गली पर ये रौशनी थोड़ी देर के लिए एक साया देती हैं, मानों हमारे अकेलेपन के लिए एक साथी दे रही हो | कुछ देर साथ चलकर वो साया ख़त्म हो जाता है, हमें किसी और साये का साथ देकर | एक के बाद एक अँधेरा, एक के बाद एक साया | जिंदगी शायद इसी रास्ते का नाम है | वो साये, हर एक पल के अहसास होते हैं | जितनी तेज़ हमारी चाल होती है, वो साये हर वक़्त हमसे तेज़ होते हैं, वक़्त के जैसे | 


[Image Courtesy :Antonio Bassi]

Thursday, April 21, 2011

मेरी गज़लें : २

न सही जो मंज़िल का पता होता |
कोई वापसी का तो रास्ता होता |
जिंदगी मुझसे प्यार न करती,
तो आज मैं भी जिन्दा होता |
गर मैं ही न उम्मीदे वफ़ा करता,
वो क्यों मुझसे बेवफ़ा होता |



[far and beyond by Horia Popan]