Friday, March 18, 2011

मेरी गज़लें : १





इस बार तनहा नहीं आया हूँ |
दर्द मैं अपने साथ लाया हूँ |

जो मुझसे कुछ कहता ही नहीं,
मैं बेवकूफ उसे सब बता आया हूँ |

अपने अश्कों को जी भर निकालने दो,
मैं उसकी आँखों में जो समाया हूँ |

उतनी दूर दूर खुद को पाता हूँ,
जितने पास पास मैं तेरे आया हूँ |

प्यार करना चाहता हूँ तुझसे, 
जानता हूँ कि मैं ठुकराया हूँ |

 तुझसे तक नजर नहीं मिला रहा,
खुदसे इस क़दर शरमाया हूँ |


[पेंटिंग : लाना डेयाम की लेंडस्केप्स पेंटिंग्स की सीरीज़]

11 comments:

  1. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  2. दर्द के भावों को समेटे हुए बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है... बहुत पसंद आई...



    "प्यार करता चाहता हूँ तुझसे" में मेरे ख्याल से करता की जगह "करना" होना चाहिए... देख लीजिए...

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  3. बेहद मनमोहक भावो मे सजी गज़ल्।

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  4. जो मुझसे कुछ कहता ही नहीं,
    मैं बेवकूफ उसे सब बता आया हूँ |

    bahot khoob !

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  5. सुंदर मनमोहक भावो मे सजी गज़ल्।

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  6. जो मुझसे कुछ कहता ही नहीं,
    मैं बेवकूफ उसे सब बता आया हूँ |
    waah

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  7. बहुत खूब ! शुभकामनायें !

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  8. bhut hi sunder gazal hai... very nice...

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  9. नीरज जी बहुत अच्छा प्रयास है...लिखते रहें, ग़ज़ल की बारीकियां खुद ब खुद समझ आने लगेंगी...

    नीरज

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