दर्द मैं अपने साथ लाया हूँ |
जो मुझसे कुछ कहता ही नहीं,
मैं बेवकूफ उसे सब बता आया हूँ |
अपने अश्कों को जी भर निकालने दो,
मैं उसकी आँखों में जो समाया हूँ |
उतनी दूर दूर खुद को पाता हूँ,
जितने पास पास मैं तेरे आया हूँ |
प्यार करना चाहता हूँ तुझसे,
जानता हूँ कि मैं ठुकराया हूँ |
तुझसे तक नजर नहीं मिला रहा,
खुदसे इस क़दर शरमाया हूँ |
[पेंटिंग : लाना डेयाम की लेंडस्केप्स पेंटिंग्स की सीरीज़]
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
दर्द के भावों को समेटे हुए बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है... बहुत पसंद आई...
ReplyDelete"प्यार करता चाहता हूँ तुझसे" में मेरे ख्याल से करता की जगह "करना" होना चाहिए... देख लीजिए...
बेहद मनमोहक भावो मे सजी गज़ल्।
ReplyDeleteजो मुझसे कुछ कहता ही नहीं,
ReplyDeleteमैं बेवकूफ उसे सब बता आया हूँ |
bahot khoob !
सुंदर मनमोहक भावो मे सजी गज़ल्।
ReplyDeleteजो मुझसे कुछ कहता ही नहीं,
ReplyDeleteमैं बेवकूफ उसे सब बता आया हूँ |
waah
बहुत खूब ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteवाह बहुत उम्दा.
ReplyDeletebhut hi sunder gazal hai... very nice...
ReplyDeleteनीरज जी बहुत अच्छा प्रयास है...लिखते रहें, ग़ज़ल की बारीकियां खुद ब खुद समझ आने लगेंगी...
ReplyDeleteनीरज