Tuesday, November 16, 2010

रोबोट कवि सम्मान

मैं पूरी तह समझता हूँ कि आप लोगों को न तो मेरी त्रिवेणियों में कुछ इंटेरेस्ट है, न ही वो समझ आ रही हैं, लेकिन मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा यकीन भी है कि मैं अपने समय से आगे के चीज़ लिख रहा हूँ| कृत्रिम बुद्धिमता वाले भविष्य के रोबोट जरूर मेरी त्रिवेणियाँ समझकर मुझे उचित सम्मान देंगे|  

मेरे आँगन में एक बूढा दरख़्त था, 
उसकी शाखों पे बैठ के गुज़रा मेरा बचपन,

पोते उस डाइनिंग टेबल पे खाना गिराते हैं अभी|
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ख्वाब तेरा हो आँखों में और नींद भी आ जाये,
यूँ बेवफाई का इलज़ाम न लगाया करो हमपे,

मेरी आँखों के मजबूरियों को तो समझो|

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लहू से सींचते हैं, जख्म से सहलाते हैं |
बावफा जिससे हम , वही क्यूँ बेवफा होता है 

मेरी तन्हाईयाँ भी मुझे तनहा छोड़ जाती है|

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हो जो दुआ सलाम भी तो फायदा उठाते है लोग,
जिंदगी में बहुत धोखा खाया है , मगर अब नहीं.

ए खुदा, आज से हमारा कोई रिश्ता नहीं|

5 comments:

  1. बढ़िया लगीं सारी त्रिवेणियाँ ..बरगद वाली विशेष रूप से

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  2. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना का लिंक मंगलवार 23 -11-2010
    को दिया गया है .
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. ये तो पता नही की क्रतिम बुद्धि है या असल .... पर आपकी त्रिवेनियों में कुछ दम तो है ...

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  4. सार्थक अभिव्यक्ति!

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  5. ha ha ha !
    aa rahe hain aapke haikus samajh mein ! main ekl robot hun !:-)

    barhiya !
    keep writing.

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