मैं पूरी तह समझता हूँ कि आप लोगों को न तो मेरी त्रिवेणियों में कुछ इंटेरेस्ट है, न ही वो समझ आ रही हैं, लेकिन मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा यकीन भी है कि मैं अपने समय से आगे के चीज़ लिख रहा हूँ| कृत्रिम बुद्धिमता वाले भविष्य के रोबोट जरूर मेरी त्रिवेणियाँ समझकर मुझे उचित सम्मान देंगे|
मेरे आँगन में एक बूढा दरख़्त था,
उसकी शाखों पे बैठ के गुज़रा मेरा बचपन,
पोते उस डाइनिंग टेबल पे खाना गिराते हैं अभी|
उसकी शाखों पे बैठ के गुज़रा मेरा बचपन,
पोते उस डाइनिंग टेबल पे खाना गिराते हैं अभी|
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ख्वाब तेरा हो आँखों में और नींद भी आ जाये,
यूँ बेवफाई का इलज़ाम न लगाया करो हमपे,
मेरी आँखों के मजबूरियों को तो समझो|
मेरी तन्हाईयाँ भी मुझे तनहा छोड़ जाती है|
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हो जो दुआ सलाम भी तो फायदा उठाते है लोग,
जिंदगी में बहुत धोखा खाया है , मगर अब नहीं.
ए खुदा, आज से हमारा कोई रिश्ता नहीं|
यूँ बेवफाई का इलज़ाम न लगाया करो हमपे,
मेरी आँखों के मजबूरियों को तो समझो|
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लहू से सींचते हैं, जख्म से सहलाते हैं |
बावफा जिससे हम , वही क्यूँ बेवफा होता है
मेरी तन्हाईयाँ भी मुझे तनहा छोड़ जाती है|
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हो जो दुआ सलाम भी तो फायदा उठाते है लोग,
जिंदगी में बहुत धोखा खाया है , मगर अब नहीं.
ए खुदा, आज से हमारा कोई रिश्ता नहीं|