Thursday, April 21, 2011

मेरी गज़लें : २

न सही जो मंज़िल का पता होता |
कोई वापसी का तो रास्ता होता |
जिंदगी मुझसे प्यार न करती,
तो आज मैं भी जिन्दा होता |
गर मैं ही न उम्मीदे वफ़ा करता,
वो क्यों मुझसे बेवफ़ा होता |



[far and beyond by Horia Popan]

Monday, April 18, 2011

फीके पन्नों से ...२


जब से आईने को तवज्जो दी है ,
अपना अक्स धुंधलाया लगता है |


[le miroir by isabelle garnier]

Saturday, April 9, 2011

फीके पन्नों से ...

मेरी आँखों में अपना अक्स देख के वो मुस्कुराई, 
बोली - "इतना प्यार करते हो मुझसे ?" 
मैं शर्मिंदा हुआ, 
कैसे समझाता, 
"ये आईने हैं |"



[Statue in the Garden by Jean Gordon]