मीर ग़ालिब फैज़ अब नहीं शायद, मेरी तस्लीम इनसे मगर ज़ारी है |
बहुत खूब कहा अपने....
bahut khoob
ख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई .कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें /
बहुत खूब कहा अपने....
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई .
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें /