Saturday, January 14, 2012

फीके पन्नों से.... ५

वक़्त रेत की मानिंद बिखरता रहा,
    मैं बैठा हुआ जिंदगी के टीले पे |
      फलक पे छायी थी सूरज की लालिमा ,
  शाम का स्याह अँधेरा ,
      मुझे अपनी जद में लेने को बेताब |


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