वक़्त रेत की मानिंद बिखरता रहा,
मैं बैठा हुआ जिंदगी के टीले पे |
फलक पे छायी थी सूरज की लालिमा ,
शाम का स्याह अँधेरा ,
मुझे अपनी जद में लेने को बेताब |
मैं बैठा हुआ जिंदगी के टीले पे |
फलक पे छायी थी सूरज की लालिमा ,
शाम का स्याह अँधेरा ,
मुझे अपनी जद में लेने को बेताब |
waah! bhaut hi sundar abhivaykti....
ReplyDelete